इक खूबसूरत बाला है बालों का रंग काला
अधरों पर एक अलग ही मुस्कान सी ज्वाला
इन आँखों के दरमियाँ वो देखे और मुस्कुराये
ये मेरा चित्त उसे देखके बस बावला होता जाये
एक आभा जो दिनकर को मात देने में सक्षम है
कानो की बाली, नाक-नथनी हरेक में वो दक्ष है
स्वाभाव जैसा स्वाभिमानी का, जैसे ललाट तेज
चारु चंचल चपल सरिता जैसे बाँधे अपने केश
गौरी-पद्मिनी-गंवरी बाई और मीरा बाई, प्रतिरुप है
राजपूताने के आँगन में फिर एक पलता प्रतिरुप है
गाथा सुनो अब अगर तुम एक ही आर्यवर्त की
कहानी सुनाऊँ या सुनाऊँ नामावली वीरों की
यही धरा है राव जोधा, बीका के पुरुषार्थ की
यही माटी है हम्मीर, सूरजमल और प्रताप की
देखो तुम उतर से दक्षिण, पूरव से पश्चिम
सौराष्ट्र से दक्कन, कैलाश से मछलीपट्टम
और देखो द्वीपो में उभरते उतखात को
फिर देखो उसी ज्वालामुखी के उबाल को
अब देखो तुम केसरिया संग जौहर को
देखो बहिनों का पेड़ो के लिए त्याग को
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