ये मेरा क्या हश्र हुआ तुझसे मिलने के बाद
ना मिली गले मैं तो मौत आई मिलने के बाद
मैंने तुझ पर अपनी पूरी जिंदगी वार दी
इक तू है आया तो मेरी अर्थी उठने के बाद
गयी मैं जब तुझसे दूर तो दिल नहीं लगता मेरा
विच पास आने वास्ते मैं सो गयी मिलने के बाद
तू मिरा रांझा है कि गुलज़ार का नज़्मा-ए-अल्फाज़
रोई मैं जब तेज तू याद आया मुझे बिछड़ने के बाद
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