इश्क़ -ए-मंज़र 2

एक आ'शार अच्छा है, अल्फाज़ से
गुफ़्तगू बेहद अच्छी है, मुलाक़ात से

कश्मकश रंगीन फ़िजाओ के पैमाने में 
दिललगी अच्छी होती नहीं, हिफाज़त से

ना जाने मैं क्यों तुम्हें देखा करता हूँ
ये शौक-ए-हया अच्छा है, वावस्ता से

रहबर 

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