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फिर उसके शहर से मुख़ातिब होना पड़ा
दिललगी से बेसबब मुक़म्मल होना पड़ा

हम तो पैहम उसे अब अपना मानते रहे
आये करीब बे-सबब मयस्सर होना पड़ा

मेरे लब काँपते रहे उसके हर शह से
उसी के खेल में, फिर हमसफ़र होना पड़ा

शुक्रिया उस खुदा का, जो रहबर है सबका
उसके इश्क़ में फिर उसका रहबर होना पड़ा 



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