ये मेरे हुस्न को हुआ क्या है
तू बता ये दर्द-ए-गम क्या है
मियाँ थोड़ा मुस्कुराया करो
फिर ये लब-ए-जज़्बात क्या है
तुम चाहते हो उसे बेपनाह
वो चाहती है तुम्हें मसला क्या है
सुना हैं उसका इक दोस्त है
तारों का रौशनी से रिश्ता क्या है
जिन लहजों से बातें करती है वो सबसे
वो सबके लिए, फिर मुझमें खास क्या है
गौतम रहबर
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