वाह क्या वफ़ा है

आँखों से आंखों को समझना एक कला है
आंखो से आंखों को मिलाना एक खता है

तेरी जुल्फो में मेरे ख़्वाब महकते है इमरोज़ 
हर मोड़ पर फिर एक मोहब्बत लापता है

आइने में फिर एक हमशक्ल मिला हमको
हर शक्ल का बहरूपिया है, वाह क्या वफ़ा है

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