जाने दिल ये क्यों कहे रहा ...............
ना जाने आज दिल ये क्यों कहे रहा |
कि नहीं रह सकता तुम्हारे बिना ||
खुले धागो के झमेले में उलझे है हम|
जैसे उजाले की दुनिया में खो गए है हम||
जिसकी ख़बर तुझको भी है |
जिसकी ख़बर मुझको भी है ||
नहीं समझ पा रहे है हम|
जाने कोनसी है ये बात ||
जीवन के इस घुमावदार मोड़ पर मिले है इस तरह |
की कट जाएगी ज़िंदगी हमारी एक अज़नबी बनकर||
होने को अज़नबी है हम एक दूसरे के लिए |
लेकिन वो (सहेली ) हमेशा कहती है, फिर क्यों बेताब हो तुम एक दूसरे के लिए||
न वो समझ पा रही है ना में समझ पा रहा|
जाने किसी है ये अजीब दास्ताँ |
मित्रो की नज़रो में भाभी हो तुम |
भाइयो की नज़रो में तो भाभी हो तुम|
लेकिन मेरी नज़रो में. , मेरी नज़रो में एक बहुत अच्छी दोस्त हो और हाँ .................. और भी बहुत कुछ||
कि नहीं रह सकता तुम्हारे बिना ||
खुले धागो के झमेले में उलझे है हम|
जैसे उजाले की दुनिया में खो गए है हम||
जिसकी ख़बर तुझको भी है |
जिसकी ख़बर मुझको भी है ||
नहीं समझ पा रहे है हम|
जाने कोनसी है ये बात ||
जीवन के इस घुमावदार मोड़ पर मिले है इस तरह |
की कट जाएगी ज़िंदगी हमारी एक अज़नबी बनकर||
होने को अज़नबी है हम एक दूसरे के लिए |
लेकिन वो (सहेली ) हमेशा कहती है, फिर क्यों बेताब हो तुम एक दूसरे के लिए||
न वो समझ पा रही है ना में समझ पा रहा|
जाने किसी है ये अजीब दास्ताँ |
मित्रो की नज़रो में भाभी हो तुम |
भाइयो की नज़रो में तो भाभी हो तुम|
लेकिन मेरी नज़रो में. , मेरी नज़रो में एक बहुत अच्छी दोस्त हो और हाँ .................. और भी बहुत कुछ||
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